Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -16-Oct-2022 घनघोर बादल हैं मंडराये है

शीर्षक-घनघोर बादल आज मंडराए 

घनघोर बादल आज मंडराए,
सारे जगत में खुशियां छाए,
बिजुरिया नभ मे चमकाए,
बारिश का आह्वान बताएं।

घनघोर बादल आज मंडराए।

घनघोर बादल जब भी मंडराए,
काली काली बदरिया मन में आस जगाए,
बरसात झूम झूम के आए,
प्रकृति का श्रृंगार रचाए।

घनघोर बादल आज मंडराए।

घनघोर बादल जब भी आए,
किसानों का मन उत्सुकता से भर जाए,
खेत खलियान नाचे झूमे गाए,
किसानों का सपना पूरा करें।

घनघोर बादल आज मंडराए।

घनघोर बादल जब भी मंडराए,
घने जंगल में शोर मच जाए,
मोर अपना नृत्य दिखाएं,
कोयल अपनी वाणी सुनाएं,
घने जंगल मनमोहक बन जाए।

घनघोर बादल आज मंडराए।

घनघोर बादल जब भी मंडराए,
नदिया का उफान बढ़ जाए,
कल कल कल कल गीत सुनाए,
हमारे मन को बहुत हर्षाए।

घनघोर बादल आज मंडराए।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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6 Comments

Raziya bano

17-Oct-2022 07:15 PM

Nice

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Ajay Tiwari

17-Oct-2022 08:16 AM

Nice

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बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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